THE BASIC PRINCIPLES OF MALKIN KI MALISH

The Basic Principles Of malkin ki malish

The Basic Principles Of malkin ki malish

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मालिश से मांसपेशियों में तनाव भी कम होता है और दर्द एवं दांत निकलने पर होने वाली दिक्‍कतों से भी राहत मिलती है। जिन बच्‍चों को जन्‍म नौ महीने से पहले हो जाता है, उनका भी मालिश से अच्‍छा विकास होने में मदद मिल सकती है।

मालिश करते हुए उससे बात करते रहें। अब अपने हाथों पर तेल डालें और उसे बच्‍चे के कानों पर मसलें। इससे शिशु को मालिश के लिए तैयार होने में मदद मिलेगी।

इसके बजाए आपको मांसपेशियों पर काम करना है क्योंकि यही वो है जहां ज्यादा तनाव होता है। मांसपेशियों की ही मसाज करें आप गलत नहीं करेंगे।

हाथों पर मसाज करने के लिए उनके हाथ को अपने हाथ में लें और उनकी हथेली को अपने अंगूठे से गोल घुमाते हुए मसाज करें। फिर एक एक अंगुली को लेकर अंदर की तरफ घुमाए और पोर से नाखून तक स्लाइड करें। हर अंगुली को धीरे से खींचे लेकिन इतना तेज न खींचे की वो टूट जाए।

बच्चे के चेहरे और सिर की मालिश करना आपके लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि बच्चे ऐसा करने पर ज्यादा हिलते-ढुलते हैं। लेकिन यह शरीर के अन्य हिस्सों को मालिश करने की तरह ही महत्वपूर्ण होता है। चेहरे की मालिश के लिए check here आप अपने बच्चे के माथे पर अपनी तर्जनी उंगली को रखें और धीरे-धीरे उसके पूरे चेहरे पर हल्के दबाव के साथ मालिश शुरू करें। बच्चे की ठोड़ी से अपनी उंगली को उसके गालों की ओर ले जाएं और धीरे-धीरे सर्कुलर मोशन में गालों की मालिश करें। इसी प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहराएं। (और पढ़ें - चेहरे की मसाज कैसे करें)

बहुत तेज संगीत न चलाए, संगीत बैक्ग्राउण्ड में धीमे से बजना चाहिए। इससे मसाज में आनंद आना चाहिए न की आनंद खत्म होना चाहिए।

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विकलांग बच्चों की जिंदगी में सुधार करती है

इसके बाद आपको बच्चे के पेट की मालिश शुरु करनी चाहिए। पेट बच्चे के शरीर का नाजुक हिस्सा होता है, इसलिए ध्यान रखें कि पेट की मालिश करते समय दबाव न डालें। पेट की मालिश की शुरुआत आप सीने के ठीक नीचे के हिस्से से शुरु कर सकती हैं। इसके बाद हाथों को घड़ी की सुईयों की तरह गोल-गोल घुमाते हुए शिशु के पेट और नाभि के पास मालिश करें। बच्चे के पेट की मालिश बेहद ही हल्के हाथों से करें।

कमरे का तापमान शरीर के तापमान के अनुसार ही रखें। यह सुनिश्चित करें कि सर्दियों के समय कमरा गर्म और गर्मियों के समय कमरा ठंडा हो। इसके अलावा कमरे में ताजा हवा भी आनी चाहिए। मालिश के समय शिशु जल्द गर्मी महसूस करते हैं और परेशान हो जाते हैं।

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मां बनने के बाद कई महिलाएं अपने बच्चे की मसाज करना चाहती हैं, लेकिन मसाज का सही तरीका मालूम न होने के कारण महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। आपकी इसी परेशानी को देखते हुए, इस लेख में नवजात शिशु की मालिश के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही आपको नवजात शिशु की मालिश क्या है, नवजात शिशु की मालिश कब शुरू करें और कितनी बार करें, नवजात शिशु की मालिश के फायदे, नवजात शिशु की मसाज करने का सही समय, शिशु की मालिश कैसे करें, बच्चे की मालिश के लिए टिप्स व नवजात शिशु की मालिश कब तक करनी चाहिए, आदि बातों के बारे में भी बताया जा रहा है।

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